“ट्यूनिशिया: वो मुस्लिम देश जहां मोहब्बत को मजहब की दीवारें नहीं रोकतीं”

जब बात इस्लामिक देशों की होती है, तो महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों पर तमाम सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में अगर कोई मुस्लिम लड़की किसी गैर-मुस्लिम युवक से मोहब्बत कर बैठे, तो उस पर समाज की बंदिशें और मजहब की दीवारें भारी पड़ती हैं। पर अफ्रीका के उत्तरी छोर पर बसा ट्यूनिशिया इस सांचे को तोड़ता है। यह देश अपने संविधान और कानूनों के ज़रिए मुस्लिम लड़कियों को यह अधिकार देता है कि वे अपने दिल की सुन सकें, चाहे वह रिश्ता किसी और धर्म के व्यक्ति से क्यों न हो।

ट्यूनिशिया की पहचान सिर्फ उसकी खूबसूरत रेत, नीला समंदर और समृद्ध संस्कृति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश अपनी आधुनिक सोच और प्रगतिशील नीतियों के लिए भी जाना जाता है। 1973 तक यहां भी वही परंपरा थी जो अन्य इस्लामिक देशों में आज भी देखने को मिलती है — किसी मुस्लिम लड़की को गैर-मुस्लिम से निकाह करने के लिए पहले उसे इस्लाम कबूल करना पड़ता था। मगर 2017 में देश के राष्ट्रपति बेजी केड एसेब्सी ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इस नियम को खत्म कर दिया, और यह साफ संदेश दिया कि अब मोहब्बत पर कानून की पाबंदी नहीं चलेगी।

इस साहसी निर्णय से पूरे ट्यूनिशियाई समाज में नई बहस छिड़ गई। जहां एक ओर युवाओं और उदार विचारधारा वाले लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया, वहीं दूसरी ओर कट्टरपंथियों ने सरकार की आलोचना की। उनका मानना था कि इस तरह के निर्णय ट्यूनिशिया को पारंपरिक इस्लामिक ढांचे से दूर ले जाएंगे। लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग रही। उसका कहना था कि महिलाएं किसी की संपत्ति नहीं, बल्कि स्वतंत्र नागरिक हैं जिन्हें अपने जीवन से जुड़े फैसले खुद लेने का पूरा अधिकार है।

ट्यूनिशिया की सबसे बड़ी ताकत है उसका लोकतांत्रिक संविधान जो महिलाओं को सिर्फ अधिकार नहीं देता, बल्कि उन्हें सामाजिक और कानूनी सुरक्षा भी प्रदान करता है। यदि कोई मुस्लिम महिला किसी गैर-मुस्लिम युवक से शादी करना चाहती है, तो न केवल प्रशासन इस विवाह को मान्यता देता है, बल्कि संभावित खतरों से उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराई जाती है। यह ऐसा उदाहरण है जो इस्लामिक दुनिया के बाकी देशों के लिए प्रेरणा बन सकता है।

आज ट्यूनिशिया अरब दुनिया में एक ऐसा देश बन चुका है, जहां महिलाओं के अधिकार केवल कागजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज की हर गली, सड़क और अदालत तक महसूस किए जा सकते हैं। यह देश यह दिखाता है कि मजहब और मोहब्बत को एक-दूसरे का दुश्मन नहीं बनाना चाहिए। यहां की महिलाएं अपने फैसले खुद ले रही हैं, और समाज अब धीरे-धीरे इस बदलाव को स्वीकार भी कर रहा है। ट्यूनिशिया एक उम्मीद की किरण है, जो बताता है कि अगर नीयत साफ हो तो बदलाव मुमकिन है।

Leave a Comment