₹3,712 करोड़ का प्रोजेक्ट या कोई बड़ा रहस्य?
शुक्रवार को केंद्र सरकार ने बिहार के लिए एक बड़ा ऐलान किया—₹3,712 करोड़ की लागत से पटना-आरा-सासाराम कॉरिडोर बनने जा रहा है। यह खबर जितनी उत्साहजनक है, उतनी ही चौंकाने वाली भी। आखिर इतने बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा अचानक क्यों हुई? क्या यह बिहार की जनता के लिए एक सुनहरा अवसर है या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक चाल छिपी है?
120 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर, लेकिन फायदा किसका?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि यह 120 किलोमीटर लंबा 4-लेन कॉरिडोर 5 नेशनल हाईवे और 4 स्टेट हाईवे को जोड़ेगा। इस प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या यह वाकई आम जनता की सुविधा के लिए है, या फिर इसमें किसी बड़े कॉरपोरेट समूह का लाभ छिपा हुआ है? क्या बिहार के स्थानीय व्यापारियों और किसानों को इससे फायदा होगा, या फिर इसका फायदा केवल कुछ प्रभावशाली उद्योगपतियों को मिलेगा?
2 फेज़ में होगा काम, लेकिन कब तक?
सरकार ने बताया कि यह प्रोजेक्ट दो चरणों में पूरा किया जाएगा, लेकिन सवाल उठता है—कब तक? क्या यह प्रोजेक्ट बिहार के चुनावों के मद्देनजर लाया गया है? या फिर यह भी किसी अन्य योजनाओं की तरह अधूरा रह जाएगा? बिहार में पहले भी कई बड़े प्रोजेक्ट्स की घोषणाएँ हुईं, लेकिन उनमें से कितने सही समय पर पूरे हुए?
बिहार की जनता के लिए वरदान या चुनावी एजेंडा?
इतने बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट से बिहार की जनता को क्या सच में फायदा मिलेगा? सड़क तो बनेगी, लेकिन क्या इसके साथ-साथ स्थानीय रोजगार भी बढ़ेगा? क्या बिहार के बेरोजगार युवाओं को इससे नौकरी के नए अवसर मिलेंगे, या फिर बाहर की कंपनियाँ आकर बिहार का पैसा और संसाधन लूट ले जाएँगी?
आप क्या सोचते हैं?
🚧 क्या आपको लगता है कि पटना-आरा-सासाराम कॉरिडोर बिहार के विकास में मदद करेगा?
💰 क्या इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश है?
📅 क्या सरकार इसे निर्धारित समय में पूरा कर पाएगी?
🗳️ क्या यह प्रोजेक्ट चुनावी लाभ के लिए लाया गया है?
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