RAILWAY में रिश्वत का बड़ा खुलासा: अफसरों के ठिकानों से करोड़ों की ज्वेलरी और कैश बरामद!

 रिश्वत का जाल: अफसर और वेंडर गिरफ्तार
देश की प्रतिष्ठित संस्था रेलवे एक बार फिर भ्रष्टाचार की गिरफ्त में नजर आई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उत्तर रेलवे के डीआरएम कार्यालय, नई दिल्ली के दो वरिष्ठ अधिकारियों और एक निजी वेंडर को 7 लाख रुपये की रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया है। यह मामला सामने आने के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है। आरोप है कि ये अधिकारी एक निजी कंपनी और उसके परिवार को अनुचित लाभ पहुंचाने के बदले रिश्वत मांग रहे थे।

छापेमारी में खुला भ्रष्टाचार का खजाना
CBI ने जब इन आरोपियों के आवास और दफ्तरों पर छापेमारी की, तो वहां से 63.85 लाख रुपये नकद और करीब 3.46 करोड़ रुपये मूल्य के सोने की छड़ें व आभूषण बरामद हुए। इतना ही नहीं, जब सीनियर डीईई की पत्नी के लॉकर की तलाशी ली गई, तो उसमें से भी 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के आभूषण और सोना मिला। यह साफ संकेत देता है कि रिश्वत का खेल लंबे समय से चल रहा था।

 सात आरोपियों पर दर्ज हुआ केस
CBI ने इस मामले में कुल सात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनमें वरिष्ठ DDEE साकेत चंद श्रीवास्तव, SSE तपेंद्र सिंह गुर्जर, अरुण जिंदल, वत्सल इन्फोटेक के गौतम चावला और अन्य कंपनी निदेशक शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने निजी संस्थाओं को लाभ देने के लिए सरकारी प्रक्रियाओं को तोड़ा और अवैध लेन-देन किया।

 9 स्थानों पर हुई एक साथ तलाशी
CBI ने 9 अलग-अलग स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान कई अहम दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, संपत्ति के दस्तावेज और रिश्वत से जुड़ी जानकारी जब्त की गई। इससे स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार किसी एक व्यक्ति तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें कई लोग शामिल थे जो मिलकर इस अवैध नेटवर्क को चला रहे थे।

 सवालों के घेरे में सरकारी तंत्र
इस बड़े खुलासे के बाद अब रेलवे विभाग और उससे जुड़े सरकारी तंत्र पर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या यह सिर्फ एक मामला है या ऐसे कई और मामले दबे पड़े हैं? अब जरूरत है कि ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच हो और दोषियों को सख्त सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग न कर सके।

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