पूर्णिया सेंट्रल जेल में चार बांग्लादेशी नागरिक सजा पूरी होने के बाद भी बंद हैं। ये सभी अवैध रूप से भारत में घुसे थे और पकड़े जाने के बाद जेल भेजे गए थे। केंद्र सरकार के आदेश के बाद अब इन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने विदेशी घुसपैठियों को उनके देश भेजने के निर्देश दिए हैं।
इन चारों में से दो – मोहम्मद दिलबर और मोहम्मद नसरुद्दीन को नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश करते हुए अररिया में पकड़ा गया था। बस में यात्रियों को उनकी भाषा पर शक हुआ और पुलिस को सूचना दी गई। पूछताछ में उन्होंने बार-बार अपना बयान बदला था। इन दोनों की सजा मार्च 2024 में पूरी हो गई थी और अब वे संसीमन केंद्र में रखे गए हैं।
तीसरा बांग्लादेशी हसन नकली आधार कार्ड के साथ रक्सौल बॉर्डर पर पकड़ा गया था। उसने भारत में बसने की मंशा जताई थी और अभी वह भी संसीमन केंद्र में है। चौथा व्यक्ति सबसे जटिल स्थिति में है क्योंकि बांग्लादेश उसे अपना नागरिक मानने को तैयार नहीं है। 10 महीने से उसकी पहचान को लेकर प्रक्रिया जारी है, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है।
पूर्णिया के अलावा कटिहार, किशनगंज और सुपौल की जेलों में भी विदेशी नागरिक बंद हैं। इन विदेशी कैदियों की सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन नागरिकता की पुष्टि न होने के कारण वे संसीमन केंद्रों में रह रहे हैं। जेल प्रशासन उन्हें सुरक्षित माहौल में रखने के साथ बुनियादी सुविधाएं भी दे रहा है। अब देखना होगा कि कब तक ये लोग अपने देश लौट पाते हैं।