अब दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा त्वरित और कैशलेस इलाज
सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब सड़क हादसों में घायल लोगों को 1.5 लाख रुपये तक का मुफ्त और कैशलेस इलाज मिलेगा। यह सुविधा सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों में उपलब्ध होगी, जिससे किसी भी घायल व्यक्ति को आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) इस योजना की नोडल एजेंसी होगी और इसके प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी।
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद पूरे देश में लागू होगी योजना
इस योजना को शुरू करने से पहले सरकार ने इसे 6 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया था। ये राज्य थे – पुडुचेरी, असम, हरियाणा और पंजाब। इस परीक्षण की सफलता के बाद, इसे अब पूरे देश में लागू किया जा रहा है। इस योजना को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में संशोधन के बाद लागू किया गया है, जिससे दुर्घटना पीड़ितों को समय पर इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके।
योजना का विस्तार:
पायलट प्रोजेक्ट के राज्य | सफलता दर | लाभार्थी संख्या |
---|---|---|
पुडुचेरी | 90% | 5,000+ |
असम | 85% | 4,800+ |
हरियाणा | 88% | 4,900+ |
पंजाब | 92% | 5,500+ |
कैसे मिलेगा कैशलेस इलाज? अस्पतालों को देना होगा मुफ्त ट्रीटमेंट
NHAI के अधिकारी के अनुसार, सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को कोई भी आम नागरिक, पुलिस या संस्था नजदीकी अस्पताल तक पहुंचा सकती है। इसके बाद तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा और अस्पताल मरीज से कोई शुल्क नहीं लेगा।
इलाज की प्रक्रिया:
- घायल व्यक्ति को निकटतम अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।
- अस्पताल को बिना किसी शुल्क के तत्काल इलाज शुरू करना होगा।
- चाहे अस्पताल सरकारी हो या निजी, उन्हें योजना के तहत इलाज देना अनिवार्य होगा।
- इस योजना में शामिल पैनल अस्पतालों के अलावा गैर-पैनल अस्पतालों को भी सेवा देनी होगी।
बड़े अस्पताल में रेफर करने पर भी नहीं लगेगा कोई खर्च
कई बार गंभीर रूप से घायल मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद बड़े अस्पताल में रेफर करना पड़ता है। इस स्थिति में भी मरीज को किसी तरह का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। 1.5 लाख रुपये तक का पूरा खर्च NHAI द्वारा वहन किया जाएगा।
इसका लाभ:
✅ मरीज और उनके परिजनों को आर्थिक चिंता से मुक्ति।
✅ इलाज में देरी नहीं होगी, जिससे जान बचाने की संभावना बढ़ेगी।
✅ बेहतर सुविधाओं वाले अस्पतालों तक पहुंच सुनिश्चित होगी।
गोल्डन ऑवर में इलाज से बचेंगी हजारों जानें, जल्द बढ़ सकती है सहायता राशि
विशेषज्ञों के अनुसार, दुर्घटना के बाद का पहला घंटा ‘गोल्डन ऑवर’ कहलाता है, जिसमें अगर इलाज में देरी हो तो मरीज की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। इसी खतरे को कम करने के लिए यह योजना लाई गई है।
🚨 महत्वपूर्ण तथ्य:
- गोल्डन ऑवर में समय पर इलाज से 70% तक जान बच सकती हैं।
- सरकार इस योजना की सहायता राशि को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख करने पर विचार कर रही है।
- यह पहल सड़क हादसों में मौतों की संख्या को कम करने में कारगर साबित होगी।
निष्कर्ष: सड़क हादसों में जीवन बचाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम
सरकार की यह नई योजना सड़क हादसों में घायल लोगों के लिए एक संजीवनी साबित हो सकती है। कैशलेस इलाज की यह सुविधा न केवल आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए मददगार होगी, बल्कि समय पर इलाज मिलने से हजारों लोगों की जान भी बचाई जा सकेगी। यदि सरकार सहायता राशि को और बढ़ाती है, तो यह सड़क सुरक्षा और दुर्घटना पीड़ितों के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगा।