कुछ सीढ़ी चढ़ते ही सांस फूलना सीओपीडी का संकेत | copd disease| बना जानलेवा

धूल, धुआं एवं प्रदूषण से सीओपीडी| copd disease का खतरा


लक्षण :

  • सुखी या बलगम के साथ होने वाली खांसी
  • काम करने के साथ सांस लेने में तकलीफ
  • छाती में जकड़न या खिंचाव महसूस होना

कारण :

  • धूम्रपान अथवा धूम्रपान करने वाले से संपर्क में रहना
  • प्रदूषित वातावरण में काम करना जहां पर धूल या धुआं अधिक है
  • सड़कों पर उड़ती हुई धूल
  • कोयले व लकड़ी का धुआं

अगर आपको 15 से 20 सीढ़ी चढ़ते चढ़ते ऐसा लगे कि हमारी सांसों को तकलीफ हो रही हैसांस फूलने लगे । या फिर एक्सरसाइज करते वक्त थकान महसूस हो तो । जरा संभल जाए। यह लक्षण आपको सीओपीडी ।copd disease

(क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज) होने की तरफ इशारा कर रहा है ।  यह लक्षण सीओपीडी के प्रारंभिक लक्षणों में से एक है ।

अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं कराया गया तो यह आपके लिए या आपके जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ।कोविड-19 काल में यानी कोरोना काल में सीओपीडीcopd disease के मरीजों को न केवल कोरोना के वायरस ने ज्यादा परेशान किया, बल्कि उनकी हालत को गंभीर करते हुए उन्हें आईसीयू (ICU) तक पहुंचा दिया । भागलपुर जिले में कोरोना संक्रमितो कि कुल 309 मौतों में से 23 लोग सीओपीडी के शिकार थेमायागंज अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शांतनु कुमार घोष ने बताया कि,  जिले की करीब एक लाख की आबादी सीओपीडी की बीमारी के शिकार हैं। मायागंज अस्पताल में सीओपीडी copd disease के 12 से 15 मरीज रोजाना चिन्हित हो रहे हैं । जबकि यह 7 साल पहले 4 से 5 मरीज रोजना की थी ।यानी बीते 7 साल में जिले में सीओपीडी  copd disease के मरीजों की संख्या में 3 गुना तक का इजाफा हो चुका हैं।

जब तक सीओपीडी copd disease के मरीजों में लक्षण दिखता है और वह अस्पताल पहुंचता है, तब तक उसके फेफड़े 50% तक खराब हो चुके होते हैं ।

आमतौर पर चिकित्सक सीओपीडी copd disease को मामूली बीमारी या फिर अस्थमा समझकर सिर्फ फेफड़े का एक्सरे कराते हैं । जबकि सीओपीडी न केवल अस्थमा की बीमारी से पूरी तरह अलग है बल्कि फेफड़े कि यह गंभीर बीमारी एक्स-रे से पकड़ में भी नहीं आती

इसके लिए स्पायरोमेट्री जांच सबसे अहम है

धूल, धुआं और प्रदूषण ने बढ़ाई सीओपीडी की बीमारी

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह ने बताया कि आमतौर पर सड़क पर उड़ने वाली धूल को हम नजरअंदाज कर देते हैं

यह बेहद खतरनाक है। सांस लेने पर फेफड़ों तक जा रही धूल के महीन कण जानलेवा है । इसकी गणना पीएम-10 और पीएम- 2.5 के रूप में करते हैं । हवा के इस प्रदूषण से फेफड़े खराब हो रहे हैं । इससे वे लोग भी सीओपीडी के शिकार हो रहे हैं जो कि धूम्रपान नहीं करते । इसके अलावा धूम्रपान करने वाले और उनके संपर्क में रहने वाले लोग भी सीओपीडी  copd disease के शिकार होते जा रहे हैं ।

धूम्रपान जानलेवा है। जनहित में जारी

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