- ग्राम सभा , मुखिया
- ग्राम पंचायत
- पंचायत समिति
- जिला परिषद
- बिहार में पंचायती राज संस्थाएं की और उनकी संख्यायें
छोटा इतिहास
प्राचीन बिहार में ग्रामीण व्यवस्था सशक्त थी । पुरे गाँव की व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा संचालित होती थी ।
ग्राम पंचायत पांच प्रशासनिक इकाइयों में से एक थी ।
ग्राम के मुखिया को ग्रामीणी कहा जाता था ।
गांव में सामूहिकता के भाव थे ।
ग्राम पंचायतों के शक्तिशाली होने से गांव हर दृष्टि से संपन्न एवं स्वाबलंबी होते थे ।
ग्राम पंचायत का अस्तित्व मुगल काल तक बनी रही ।
किन्तु अंग्रेजों की औपनिवेशीक शासन व्यवस्था ने सामुदायिकता के स्थान पर व्यक्तिगत उत्तरदायित्व को विशेष महत्व देना शुरू कर दिया ।
जिससे परंपरागत भारतीय ग्रामीण व्यवस्था पूरी तरह छिन्न-भिन्न हो गई ।
गांव बदहाल स्थिति में हो गया ग्रामीण की असहाय स्थिति को देखकर महात्मा गांधी ने कहा था ।
“भारतीय ग्रामीण जीवन का पुनर्निर्माण ग्राम पंचायतों की पुनः स्थापना से ही संभव है । ”
स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान ही पंचायती राज व्यवस्था लागू करने के लिए प्रयास तेज हो गए थे । भारतीय संविधान में पंचायत व्यवस्था को सशक्त करने के लिए प्रावधान किया गया । स्वतंत्र भारत के केंद्रीय सरकार में पंचायती राज एवं सामुदायिक विकास मंत्रालय का गठन किया गया ।
पंचायती राज व्यवस्था का क्रियान्वयन हेतु भारत सरकार ने
बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 1956 में किया ।
जिसने अपनी संस्तुतियों 1957 में सरकार को सौंपी।
राष्ट्रीय विकास परिषद ने 12 जनवरी 1958 को प्रजातांत्रिक विकेंद्रीकरण के प्रस्तावों को स्वीकार करते हुए राज्यों को इसपर कार्य करने को कहा
इसके बाद 2 अक्टूबर,1959 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा पंचायती राज व्यवस्था का शुभारंभ राजस्थान के नागौर जिले में किया ।
बिहार राज्य सहित पूरे भारत में स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं को स्थापित करने के लिए पंचायती राज व्यवस्था ठोस आधार प्रदान करती है ।
बिहार पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है यह 24 सितंबर 2021 से शुरू है ।
और 12 दिसंबर तक 11 चरणों में मतदान की प्रक्रिया चलेगी वर्ष 2016 में गठित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरी या जून महीने में भंग कर दी गई थी कोविड-19 के कारण चुनाव नहीं हो पाया ।
ग्राम सभा , मुखिया :-
ग्राम सभा पंचायत राज की बुनियादी तथा सबसे बड़ी सभा है जिसके सदस्य गांव के मतदाता होते हैं यह एक स्थाई सभा होता है।
पंचायती राज की अन्य सभी संस्थाएं (ग्राम पंचायत ,पंचायत समिति और जिला परिषद ) जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधियों की सभाएं हैं । जबकि ग्रामसभा सभी मतदाताओं की सभा होते हैं। ।
ग्राम सभा के लिए गए निर्णयों को किसी भी अन्य संस्था द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता । जिस गांव की जनसंख्या 250 हो वहां ग्राम सभा का गठन किया जा सकता है । यदि जनसंख्या 250 से कम है तो एक से अधिक ग्रामों को सम्मिलित करके ग्राम सभा का गठन किया जा सकता है ।
बिहार में ग्राम सभा की 1 वर्ष में चार बैठकें बुलाई जाने का प्रावधान है । प्रत्येक ग्राम सभा में एक निगरानी समिति का गठन होता है जो स्थानीय प्रशासनिक कार्यों के आकलन एवं देखरेख का कार्य करती है ।
गांव का कोई भी व्यस्त ग्राम सभा का सदस्य होता है ।
ग्राम सभा का प्रधान मुखिया कहलाता है जो सदस्यों द्वारा निर्वाचित होता है । ग्राम सभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है । ग्राम पंचायत की वास्तविक शक्ति ग्राम सभा के हाथों में निहित होती है । क्योंकि ग्राम पंचायत की कार्यकारिणी जो भी कार्य करती है उनके लिए ग्राम सभा की सहमति आवश्यक होती हैं । ग्राम सभा की कार्यकारिणी का गठन ग्राम प्रधान (मुखिया) के अध्यक्षता में गठित 8 सदस्ययीय समिति द्वारा किया जाता है।
कार्यकारणी के 4 सदस्य ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं और 4 को प्रधान मनोनीत करता है ।
8 सदस्यों में से किसी एक सदस्य को उपप्रधान (उप मुखिया) चुना जाता है । कार्यकारिणी की ग्राम पंचायत के समस्त कार्यों, नीति निर्धारणो तथा कार्य मूल्यांकन आदि का संचालन करती हैं ।
ग्राम पंचायत :-
ग्राम पंचायत निर्वाचित प्रतिनिधियों की एक ऐसी संस्था है जिसे जनता के सामने आमने होकर जवाब देना पड़ता है तथा अधिकांश कार्यकलापों के लिए निर्णय लेने हेतु पहले उनकी सहमति लेनी पड़ती है मुखिया उप मुखिया और सभी वार्ड सदस्यों को मिलकर ग्राम पंचायत का गठन होता है। बिहार में प्रत्येक 500 आबादी पर 1 ग्राम पंचायत के लिए एक सदस्य के प्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान है इन चुनावों में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ी जातियों के लिए आबादी के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान है
ग्राम पंचायत की स्थायी समितियां 6 हैं ।
- योजना, समन्वय एवं वित्त समिति
- शिक्षा समिति
- उत्पादन समिति
- सामाजिक न्याय समिति
- लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति
- लोक निर्माण समिति
बिहार पंचायत राज अधिनियम के तहत महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित हैं।
ग्राम पंचायत के 6 अंग हैं ।
- ग्राम सभा
- कार्यकारिणी समिति
- मुखिया
- ग्राम सेवक
- ग्राम रक्षा दल तथा ग्राम कचहरी
ग्राम पंचायत का कार्यकाल प्रथम बैठक से 5 वर्ष तक का होता है
पंचायत समिति
इसका गठन प्रखंड स्तर पर होता है ।
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत पंचायत समिति मध्यवर्ती पंचायत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
यह ग्राम पंचायत एवं जिला परिषद के बीच करी का कार्य करता है।
पंचायत समिति के सारे कार्य बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के विभिन्न धाराओं एवं नियमों के अनुकूल संचालित होता है ।
प्रत्येक 5000 की जनसंख्या पर पंचायत समिति के एक सदस्य का निर्वाचन का प्रावधान है ।
इन सदस्यों के अलावा उपखंड के ग्राम पंचायत के मुखिया एवं लोकसभा के सांसद पंचायत समिति के सदस्य होते हैं।
इस समिति में जनसंख्या के अनुपात अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का व्यवस्था है ।
पंचायत समिति की स्थाई समितियां:–
- सामान्य स्थाई समिति
- वित्त अंकेक्षण तथा योजना समिति
- उत्पादन समिति
- सामाजिक न्याय समिति
- शिक्षा समिति
- लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति
- लोक निर्माण समिति
जिला परिषद:-
बिहार पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत जिला स्तर पर जिला परिषद के गठन का प्रावधान है ।
पंचायती राज की सबसे ऊपरी संस्था जिला परिषद है ।
जिला परिषद ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों का मूलतःनीति निर्धारण एवं मार्गदर्शन का काम करती है
इस परिषद के सदस्यों का चयन प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है। प्रत्येक (50000 )पचास हजार की जनसंख्या पर एक सदस्य का चुनाव होता है।
निर्वाचित सदस्यों के अलावा एक उपाध्यक्ष की भी व्यवस्था की गई है । अध्यक्ष पद के लिए पिछड़ी जाति के लिए आरक्षण है।
परिषद की बैठक प्रत्येक तीन माह पर अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
बिहार में जिला परिषद का अनिवार्य रूप से पूरे 1 वर्ष में चार बैठके होनी चाहिए ।
केवल जिला परिषद के निर्वाचित सदस्यों को लेकर 7 स्थाई समितियों का गठन करने का प्रावधान है ।
जो इस प्रकार हैं
- सामान्य स्थाई समिति
- वित्त अंकेक्षण तथा योजना समिति
- उत्पादन समिति
- सामाजिक न्याय समिति
- शिक्षा समिति
- लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति
- लोक निर्माण समिति
जिले के सभी ग्राम पंचायत तथा पंचायत समितियों के बीच समन्वय बनाए रखने का कार्य जिला परिषद करती है ।
बिहार में पंचायती राज संस्थाएँ की संख्या निम्नलिखित हैं।
जिला परिषद 38
पंचायत समिति 534
ग्राम पंचायत 8474
ग्राम पंचायत सदस्य 115876
पंचायत समिति सदस्य 11566
जिला परिषद सदस्य। 1162
ग्राम पंचायत सचिव। 8474
न्याय मित्र 8463
ग्राम कचहरी सचिव 7474
जिला पंचायती राज अधिकारी 38
प्रखंड पंचायती राज अधिकारी 534
ग्राम कचहरी के सदस्य 115876
(स्रोत :- पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार)