8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के 5 साल बाद अब देश की अर्थव्यवस्था में नकदी की मौजूदगी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर है ।
नोट का हस्सेदारी
83.4% थी 31 मार्च 2020 को प्ररचलन में चल रही नकदी में 500 और 2000 रुपये के नोट की हिस्सेदारी
85.7℅ पर पहुंच गई 31 मार्च 2021 को प्रचलन में चल रही नकदी में 500 और 2000 के नोट की हिस्सेदारी
हालांकि नोटबंदी का लाभ यह रहा कि नकदी में वृद्धि की गति कुछ धीमी रही और लोगों ने डिजिटल भुगतान के तरीके को तेजी से अपनाया ।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने में कोरोना महामारी की अहम भूमिका रही । महामारी के कारण लोगों ने एहतियात के तौर पर अपने पास ज्यादा नकदी रखी
5 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय प्रश्न में चल रहे 1000 और 500 रुपए मूल्य के नोट बंद करने का ऐलान किया था ।
काला धन पर लगाम लगाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया था साथ ही इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ाने में भी मदद मिली ।
इस कदम पर का लाभ यह रहा कि नोटबंदी से पहले नकदी जिस गति से बढ़ रही थी , उसमें कमी आई है ।
लोगों ने कार्ड, नेट बैंकिंग और यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतान के तरीके को अपनाया है । नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई ) का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस ( यूपीआई ) देश में भुगतान का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ माध्यम बन रहा है !
UPI में तेजी :- अक्टूबर 2021 में यूपीआई के माध्यम से 7.71 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा का लेनदेन हुआ संख्या के लिहाज से अक्टूबर में यूपीआई के जरिए 421करोड़ लेनदेन हुए ।
अर्थव्यवस्था में अभी नकदी मौजूदगी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर ।
महामारी के कारण एहतियात के तौर पर नगदी रखने का सिलसिला बढ़ा ।