Dwijpriya Sankashti Chaturthi 2025– जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय

संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायी व्रत माना जाता है। 2025 में आने वाली द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। आइए, इस पावन व्रत की तिथि, पूजन विधि और ज्योतिषीय महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।


1. संकष्टी चतुर्थी व्रत का धार्मिक महत्व

संकष्टी चतुर्थी व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है। खासतौर पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी को और अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश की विशेष कृपा भक्तों पर बरसती है।


2. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

व्रत तिथि आरंभ समय समाप्ति समय
16 फरवरी 2025 15 फरवरी, रात 11:52 बजे 17 फरवरी, रात 2:15 बजे

👉 चंद्रोदय का समय: रात 9:51 बजे

👉 व्रत पारण (उपवास समाप्ति): चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है।


3. भगवान गणेश की विशेष पूजा और अनुष्ठान

इस दिन भगवान गणेश के द्विजप्रिय स्वरूप की पूजा की जाती है। भक्तगण इस दिन मंदिरों में जाकर या घर पर ही भगवान गणपति की विधिवत आराधना करते हैं।

🔹 पूजा सामग्री:
✔ दूर्वा घास
✔ मोदक (भगवान गणेश का प्रिय भोग)
✔ फल और पंचामृत
✔ कुमकुम और चंदन
✔ धूप-दीप और फूल


4. संकष्टी चतुर्थी व्रत की विधि

1️⃣ स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2️⃣ गणपति बप्पा का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें।
3️⃣ पूजन स्थान को स्वच्छ कर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
4️⃣ गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा और संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करें।
5️⃣ भगवान गणेश को मोदक, फल और पंचामृत का भोग अर्पित करें।
6️⃣ रात्रि में चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।


5. संकष्टी चतुर्थी का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व

🔸 आध्यात्मिक दृष्टि से:

  • इस व्रत को करने से सभी प्रकार के संकट समाप्त हो जाते हैं
  • संतान सुख, दांपत्य जीवन में सुख और आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

🔸 ज्योतिषीय दृष्टि से:

  • इस व्रत के प्रभाव से चंद्र दोष दूर होता है
  • यदि किसी की कुंडली में मंगल या चंद्रमा कमजोर हैं, तो इस व्रत से शुभ फल मिलते हैं।

📌 विशेष: जो लोग बार-बार आने वाली बाधाओं से परेशान हैं, वे इस व्रत को जरूर करें।


6. व्रत के लाभ – क्यों करें यह व्रत?

संकटों से मुक्ति मिलती है।
सुख-समृद्धि और शांति का वरदान मिलता है।
ग्रहों के दोष दूर होते हैं।
संतान प्राप्ति के इच्छुक दंपतियों के लिए विशेष शुभ।

“गणपति बप्पा की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं!”


7. व्रतधारियों के लिए विशेष सावधानियां

🚫 व्रत के दिन लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन न करें।
🚫 व्रत के दौरान क्रोध और नकारात्मक विचारों से बचें।
🚫 चंद्रमा के दर्शन के बिना व्रत खोलने की गलती न करें।

🙏 शुद्ध मन और भक्ति भाव से पूजा करें, तभी फल प्राप्त होगा।


8. गणेश जी की पूजा में ये गलतियां न करें

❌ तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं (भगवान गणेश को तुलसी अर्पित नहीं की जाती)।
❌ पूजन स्थल पर अशुद्धता न रखें।
❌ बिना स्नान किए पूजा न करें।

👉 “पूरी श्रद्धा से भगवान गणेश की उपासना करें, तभी व्रत का पूर्ण फल मिलेगा!”


9. संकष्टी चतुर्थी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

💡 गणेश जी को संकटमोचक कहा जाता है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर संकट को हरने वाला माना जाता है।
💡 इस व्रत को गजानन व्रत भी कहा जाता है।
💡 यदि कोई व्यक्ति लगातार 21 संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता है, तो उसे विशेष पुण्य प्राप्त होता है।


10. निष्कर्ष – इस व्रत का पालन करें और भगवान गणेश की कृपा पाएं

🔹 संकष्टी चतुर्थी व्रत एक अत्यंत पुण्यदायी व्रत है जो भक्तों को संकटों से मुक्ति दिलाता है और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
🔹 2025 में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 16 फरवरी को आएगी, इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की आराधना करें।
🔹 चंद्रोदय का समय 9:51 बजे होगा, इस समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

📢 तो आइए, इस पावन दिन को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाएं और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करें!

🙏 गणपति बप्पा मोरया! 🙏

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