आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की निर्णायक कार्रवाई
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले से आई एक बड़ी और अहम खबर ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। 9 अप्रैल को सुरक्षाबलों ने एक बड़े ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद के तीन खूंखार आतंकियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन में सेना ने बेहद रणनीतिक ढंग से कार्रवाई की और दुश्मनों को कोई मौका नहीं दिया। हालाँकि, इस सफलता की कीमत एक वीर जवान की शहादत के रूप में चुकानी पड़ी, जिसने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
ऑपरेशन की रणनीति और आतंकियों का सफाया
इस ऑपरेशन की शुरुआत पाकिस्तानी आतंकी के खात्मे से हुई। इसके बाद किश्तवाड़ के चटरू क्षेत्र के नायदगाम जंगलों में सेना ने दो और आतंकियों को घेरकर मार गिराया। मारे गए आतंकियों में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर सैफुल्लाह, फरमान और बाशा शामिल थे, जिन पर ₹5 लाख का इनाम था। यह कार्रवाई दर्शाती है कि सुरक्षाबल आतंकवाद की कमर तोड़ने में पूरी तरह सक्षम हैं और उनका नेटवर्क ध्वस्त किया जा रहा है।
दुर्गम इलाकों में चला खतरनाक ऑपरेशन
यह मुठभेड़ बर्फ से ढके पहाड़ों और घने जंगलों में हुई, जो कि बेहद खतरनाक परिस्थितियाँ थीं। सुरक्षाबलों ने CRPF, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के SOG कमांडो के साथ मिलकर यह ऑपरेशन अंजाम दिया। आतंकवादियों के छिपने की जगहों को चिन्हित कर उन्हें चारों ओर से घेरा गया और किसी भी तरह के बचाव का मौका नहीं दिया गया। यह संयुक्त प्रयास भारतीय सुरक्षा तंत्र की कुशलता को दर्शाता है।
वीर जवान की शहादत और भारी मात्रा में हथियार बरामद
इस मुठभेड़ के दौरान सेना के एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) वीरता के साथ लड़े और शहीद हो गए। उनकी बहादुरी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। ऑपरेशन के दौरान आतंकियों द्वारा भागने की कोशिश को हेलीकॉप्टर की मदद से विफल किया गया। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई, जो इनके बड़े आतंकी मंसूबों की ओर इशारा करती है।
नेतृत्व, सफलता और भविष्य की चुनौती
इस पूरे अभियान का नेतृत्व 5 सेक्टर असम राइफल्स के ब्रिगेडियर जेवीएस राठी और डोडा-किश्तवाड़-रामबन रेंज के डीआईजी श्रीधर पाटिल ने किया। यह अभियान सुरक्षाबलों के संगठनात्मक समन्वय और प्रतिबद्धता का जीता-जागता उदाहरण है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इस सफलता पर संतोष व्यक्त किया है, लेकिन यह भी साफ कर दिया गया है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति स्थापित नहीं हो जाती।