प्रयागराज में उमड़ा भक्ति का सैलाब
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रयागराज में पवित्र त्रिवेणी संगम पर महाकुंभ स्नान किया और भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस विशेष अवसर पर उन्होंने मां गंगा को पुष्प अर्पित कर देश की सुख-समृद्धि की कामना की। राष्ट्रपति के इस धार्मिक यात्रा को लेकर पूरे प्रयागराज में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। राष्ट्रपति मुर्मू के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस पावन स्नान का हिस्सा बने।
त्रिवेणी संगम पर भक्ति और संस्कृति का संगम
राष्ट्रपति मुर्मू का हेलिकॉप्टर सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे प्रयागराज एयरपोर्ट पर लैंड हुआ, जहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। इसके बाद राष्ट्रपति अरैल घाट पहुंचीं और नाव से त्रिवेणी संगम की ओर प्रस्थान किया। त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगाने के बाद राष्ट्रपति ने प्रवासी पक्षियों को दाना खिलाया, जिससे यह यात्रा और भी खास बन गई। इस दौरान राष्ट्रपति का शांत और सरल अंदाज सभी के लिए प्रेरणा बन गया।
अक्षयवट और लेटे हनुमान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना
त्रिवेणी संगम स्नान के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अक्षयवट और लेटे हनुमान मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। प्रयागराज का अक्षयवट धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। यहां उन्होंने विशेष अनुष्ठान किया और देशवासियों के कल्याण की कामना की। इसके बाद उन्होंने डिजिटल महाकुंभ अनुभव केंद्र का अवलोकन किया, जहां तकनीकी माध्यमों से महाकुंभ की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को प्रस्तुत किया गया।
महाकुंभ की भव्यता का अनुभव
महाकुंभ में स्नान करने का महत्व हर श्रद्धालु के लिए विशेष होता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के कई अन्य नेता भी इस महापर्व का हिस्सा बन चुके हैं। इस वर्ष महाकुंभ में अब तक 44 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। मौनी अमावस्या के बाद संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे प्रयागराज की सड़कों और रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ देखी जा रही है।
महाकुंभ का अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव
महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का जीता-जागता उदाहरण है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां त्रिवेणी संगम पर आकर आत्मिक शांति और मोक्ष की कामना करते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की इस आध्यात्मिक यात्रा ने न केवल महाकुंभ की भव्यता को और भी खास बना दिया, बल्कि देश के हर नागरिक को इस आयोजन की महत्ता से अवगत कराया। राष्ट्रपति का यह दौरा उनकी विनम्रता और आध्यात्मिकता की झलक देता है।