Delhi में राजनीतिक भूचाल: AAP की हार औरAtishi का इस्तीफा

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे राजधानी की राजनीति में एक बड़ा मोड़ लेकर आए हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा, जिससे मुख्यमंत्री आतिशी ने इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल महज साढ़े चार महीने का रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल की गैरमौजूदगी में यह पद संभाला था। अब, 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दिल्ली में सत्ता में वापसी हो गई है। इस बार के चुनाव में BJP ने 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया, जबकि AAP महज 22 सीटों पर सिमट गई।

शनिवार, 8 फरवरी को मतगणना के बाद उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सातवीं विधानसभा को भंग कर दिया। इसके बाद BJP सरकार बनाने की प्रक्रिया में जुट गई है। जल्द ही विधायक दल की बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार का चयन होगा। आतिशी के इस्तीफे ने दिल्ली की राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है। आतिशी से पहले दिल्ली में सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित भी महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन उनका कार्यकाल बेहद छोटा और चुनौतीपूर्ण रहा।

इस चुनाव ने कई बड़े नेताओं को हाशिए पर ला खड़ा किया है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन जैसे दिग्गज नेता अपनी सीटें गंवा बैठे। यह चुनाव न सिर्फ आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है, बल्कि दिल्ली की राजनीति में नए समीकरण भी पेश कर गया है। हालांकि, AAP के तीन प्रमुख नेता – गोपाल राय, मुकेश अहलावत और इमरान हुसैन – ने अपनी सीटें बचाने में सफलता पाई। दूसरी ओर, कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता खोलने में नाकाम रही, जिससे पार्टी की दिल्ली में हालत और बदतर हो गई है।

BJP की इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब सबकी निगाहें उसकी आगामी नीतियों और योजनाओं पर हैं। भाजपा की प्राथमिकता दिल्ली के बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में सुधार पर हो सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने कई वादे किए थे, जिनमें प्रदूषण नियंत्रण, महिला सुरक्षा और बिजली-पानी की समस्याओं का स्थायी समाधान प्रमुख थे। सरकार बनने के बाद इन वादों पर अमल करना पार्टी की प्राथमिकता होगी।

वहीं, AAP के सामने खुद को फिर से खड़ा करने की चुनौती है। 2015 और 2020 में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली AAP के लिए यह हार एक आत्ममंथन का समय है। क्या पार्टी इस हार से उबरकर दोबारा मजबूती से उभरेगी, यह एक बड़ा सवाल है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी को अब नई रणनीति के साथ जनता के बीच जाना होगा। दिल्ली की जनता की उम्मीदें एक बार फिर नई सरकार से जुड़ चुकी हैं, और आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि BJP अपने वादों पर कितना खरा उतरती है।

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