Patna hospital scandal : 48 घंटे तक मरे बच्चे का इलाज या बड़ा घोटाला?

क्या सच में डॉक्टरों ने लापरवाही बरती या मामला कुछ और है?

पटना के एक प्रसिद्ध अस्पताल में जो घटना सामने आई है, उसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक मासूम बच्चे की मौत के बावजूद 48 घंटे तक उसका इलाज चलता रहा, और जब लाश से बदबू आने लगी, तब जाकर उसे रेफर कर दिया गया। इस घटना के बाद अस्पताल में भारी हंगामा हुआ और परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।

1. क्या अस्पताल में चिकित्सा लापरवाही हुई या है कोई गहरी साजिश?

परिजनों के अनुसार, डॉक्टरों ने उनके मृत बच्चे को जिंदा बताकर लगातार इलाज किया और पैसे वसूले। जब उन्हें शक हुआ और वे बच्चे को दूसरे अस्पताल ले गए, तो वहां बताया गया कि उसकी मौत 48 घंटे पहले ही हो चुकी थी। सवाल यह उठता है कि अगर डॉक्टर इतने अनुभवी थे, तो क्या वे एक मृत बच्चे को पहचान नहीं पाए? या फिर जानबूझकर परिजनों को अंधेरे में रखा गया?

2. क्या अस्पताल प्रशासन को सख्त सजा मिलनी चाहिए?

अस्पताल के इस अमानवीय व्यवहार के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया और अस्पताल में तोड़फोड़ भी की। गांधी मैदान थाने की पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन परिजनों ने थाने में आवेदन देने से मना कर दिया। हालांकि, उन्होंने डॉक्टरों की डिग्री पर सवाल उठाते हुए प्रशासन से माफी की मांग की। सवाल यह है कि क्या सिर्फ माफी मांग लेना काफी है, या फिर अस्पताल प्रशासन और दोषी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए?

3. क्या पैसे के लिए अस्पतालों में इंसानियत खत्म हो गई है?

इस मामले ने निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े किए हैं। क्या अस्पताल केवल पैसे कमाने के अड्डे बन गए हैं? क्या डॉक्टर अब मरीजों की जान बचाने की जगह उनकी लाशों से भी मुनाफा कमा रहे हैं? अगर परिजन इस धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, तो यह मामला केवल लापरवाही का नहीं, बल्कि एक संगठित घोटाले का संकेत भी हो सकता है।

4. बिहार सरकार की चुप्पी – कब मिलेगा इंसाफ?

इतने गंभीर मामले के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। क्या बिहार सरकार इस घटना की सही तरीके से जांच करवाएगी? क्या दोषी डॉक्टरों और अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी? या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह धूल फांकता रहेगा?

5. क्या आपको लगता है कि अस्पताल प्रशासन पर हत्या का केस चलना चाहिए?

इस पूरे प्रकरण को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या इसे सिर्फ लापरवाही मानकर छोड़ देना सही होगा? क्या अस्पताल प्रशासन पर हत्या का केस दर्ज होना चाहिए? क्या सरकार को ऐसे अस्पतालों की जांच कर उन्हें बंद कर देना चाहिए जो मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं?

आपकी राय क्या है?

👉 क्या आपको लगता है कि अस्पतालों में इंसानियत खत्म हो चुकी है?
👉 क्या सरकार को ऐसे मामलों में सख्त कानून बनाना चाहिए?
👉 क्या दोषी डॉक्टरों को सजा मिलनी चाहिए या सिर्फ जांच के नाम पर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

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