माँ के आँसू और बेटों का अनोखा जुगाड़: पुश्तैनी मकान को बिना तोड़े 100 फीट खिसकाने की अनूठी कहानी

 माँ की यादें और बेटों का संघर्ष

बेंगलुरु के दो भाइयों ने अपनी माँ की भावनाओं को ठेस न पहुँचाने के लिए एक अनोखा फैसला लिया। उनका पुश्तैनी मकान हर साल बारिश में डूब जाता था, इसलिए वे उसे तोड़कर नया घर बनाना चाहते थे। लेकिन जब उनकी माँ ने यह सुना, तो उनकी आँखों में आँसू आ गए। माँ की भावनाओं का सम्मान करते हुए बेटों ने एक ऐसा ‘जुगाड़’ निकाला, जिससे मकान को बिना तोड़े ही 100 फीट दूर शिफ्ट किया जा सके।

समस्या: हर साल पानी में डूब जाता था मकान

यह मकान बेंगलुरु के पूर्वी हिस्से में स्थित है, जहाँ हर साल बारिश के मौसम में दो फीट तक पानी भर जाता था। खराब सीवरेज सिस्टम और झील के ओवरफ्लो के कारण यह स्थिति और गंभीर हो जाती थी। इस समस्या से निजात पाने के लिए भाइयों ने पहले मकान तोड़कर नया घर बनाने का विचार किया, लेकिन माँ की भावनाओं को देखते हुए उन्होंने अपनी योजना बदल दी।

समाधान: घर को 100 फीट दूर शिफ्ट करने का फैसला

माँ की यादों और भावनाओं को सँजोने के लिए बेटों ने फैसला किया कि वे मकान को ही 100 फीट दूर दूसरी जगह ले जाएंगे। इसके लिए उन्होंने एक विशेष तकनीक का सहारा लिया, जिससे घर को बिना किसी नुकसान के धीरे-धीरे खिसकाया जा सकता है।

शिफ्टिंग तकनीक: कैसे होता है यह अनोखा काम?

घर को शिफ्ट करने के लिए श्री राम बिल्डिंग लिफ्टिंग (अथम राम एंड संस) कंपनी को ठेका दिया गया। यह काम बहुत ही सावधानीपूर्वक किया जाता है ताकि मकान की संरचना को कोई नुकसान न पहुँचे।

शिफ्टिंग के लिए इस्तेमाल की गई तकनीक:

तकनीक विवरण
लोहे के जैक 200 जैक का इस्तेमाल मकान को ऊपर उठाने के लिए किया गया।
लोहे के रोलर 125 रोलर मकान को धीरे-धीरे खिसकाने के लिए लगाए गए।
मुख्य जैक 7 बड़े जैक ने पूरे मकान का संतुलन बनाए रखा।
समय सीमा 25 दिनों में पूरा होगा यह कार्य।
लागत लगभग 15 लाख रुपये।

बेटों की भावनाएँ: माता-पिता के प्यार की सच्ची मिसाल

दोनों भाइयों ने इस काम में बहुत मेहनत और पैसा लगाया, लेकिन उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण था अपने माता-पिता की यादों को बचाना। उन्होंने कहा कि माता-पिता ने उनकी परवरिश में जो मेहनत की, उसे वे कभी नहीं भूल सकते। इसी कारण उन्होंने पूरे घर को शिफ्ट करने का अनोखा निर्णय लिया।

माँ की भावनाएँ: ‘यह मेरे लिए हवेली जैसा है’

70 वर्षीय शांतम्मा के लिए यह मकान केवल एक इमारत नहीं, बल्कि उनके जीवन की यादों का एक हिस्सा था। उन्होंने कहा, “मेरे पति ने इसे बड़े अरमानों से बनाया था। यह मेरे लिए किसी हवेली से कम नहीं है। इसे गिराने की सोच भी नहीं सकती थी। मेरे बेटों ने जो किया, वह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं।”

तकनीक का चमत्कार: बिना नुकसान के मकान हुआ शिफ्ट

इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी दरवाजे, खिड़की या दीवार को कोई नुकसान नहीं हुआ। यह दर्शाता है कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से बिना कोई बड़ा परिवर्तन किए भी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।

लोगों की प्रतिक्रिया: बेंगलुरु में अपनी तरह का पहला प्रयोग

इस घटना के बारे में सुनकर लोग आश्चर्यचकित रह गए। बेंगलुरु में यह अपनी तरह का पहला प्रयास था, जहाँ पूरे मकान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया गया। लोगों ने भाइयों के इस निर्णय की सराहना की और इसे माता-पिता के प्रति सच्चे प्यार की मिसाल बताया।

निष्कर्ष: प्यार और तकनीक ने किया चमत्कार

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि माता-पिता की भावनाओं का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण होता है। आधुनिक तकनीक के सहारे हर समस्या का हल निकाला जा सकता है, लेकिन माता-पिता का प्यार और आशीर्वाद किसी भी तकनीक से बड़ा होता है। बेंगलुरु के इन भाइयों ने जो किया, वह सच में काबिल-ए-तारीफ है!

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