LPG गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा आज से 50 रुपये हुआ महंगा

8 अप्रैल 2025 की सुबह देश के करोड़ों लोगों के लिए एक और झटका लेकर आई। एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में अचानक 50 रुपये की बढ़ोतरी ने सबको चौंका दिया। दिल्ली जैसे महानगर में अब 14.2 किलो का घरेलू सिलेंडर 803 रुपये की बजाय 853 रुपये का हो गया है। सवाल ये है कि क्या यह सिर्फ महंगाई का असर है या इसके पीछे कोई छुपी हुई योजना है? आम आदमी, जो पहले से ही महंगाई की मार झेल रहा है, अब एलपीजी के दामों की मार भी झेलने को मजबूर है।

देश के हर कोने में एलपीजी सिलेंडर की नई कीमतें अब लोगों की जेब में छेद कर रही हैं। कोलकाता में अब ये सिलेंडर 879 रुपये, मुंबई में 852.50 रुपये, और चेन्नई में 858.50 रुपये में मिल रहा है। क्या यह अंतर शहरों की स्थिति के हिसाब से है, या फिर कोई अनदेखा फार्मूला इस्तेमाल हो रहा है? किसी को इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई – यही अस्पष्टता सबसे बड़ा शक पैदा करती है।

लखनऊ में सिलेंडर की कीमत 890.50 रुपये, पटना में 951 रुपये, और जयपुर में 856.50 रुपये हो चुकी है। ऐसे में छोटे शहरों और कस्बों के लोग जिनकी आमदनी सीमित होती है, अब अपने बजट को कैसे संभालेंगे? सरकार के पास जवाब नहीं है। सवाल यह उठता है कि क्या यह बढ़ोतरी योजनाबद्ध तरीके से कमजोर वर्ग पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए की जा रही है?

इंदौर, डिब्रूगढ़, श्रीनगर, कारगिल जैसे इलाकों में गैस सिलेंडर की कीमतें 878 से लेकर 985 रुपये तक पहुंच चुकी हैं। श्रीनगर में जहां हालात पहले से संवेदनशील हैं, वहां एलपीजी के दाम 969 रुपये होना अपने आप में चिंता का विषय है। क्या यह सिर्फ संयोग है या कोई सोची-समझी रणनीति जिसके जरिए दूरदराज के नागरिकों पर दबाव बनाया जा रहा है?

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि यह फैसला जरूरी था, और उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए सब्सिडी के साथ कीमत 550 रुपये रखी गई है। बाकी उपभोक्ताओं को अब 853 रुपये चुकाने होंगे। मंत्री महोदय का यह भी दावा है कि यह निर्णय ऑयल कंपनियों को हुए 43,000 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के लिए किया गया है। लेकिन सवाल यह है – जब कंपनियां घाटे में थीं, तब आम आदमी को भरोसा दिया गया, अब जब भरपाई करनी है तो जनता पर बोझ क्यों डाला जा रहा है? क्या यह नीतिगत पारदर्शिता की कमी नहीं है?

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