President Draupadi Murmu का ऐतिहासिक दौरा: महाकुंभ की दिव्यता का अनुभव और संगम स्नान

प्रयागराज में महाकुंभ के पावन अवसर पर देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विशेष उपस्थिति ने ऐतिहासिक क्षण को और अधिक भव्य बना दिया। 10 फरवरी को तीर्थराज प्रयागराज की पवित्र धरती पर कदम रखते ही राष्ट्रपति मुर्मू ने महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता को आत्मसात किया। आठ घंटे से अधिक स

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मय तक संगम नगरी में रुकते हुए, उन्होंने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर सनातन आस्था को एक नई ऊंचाई दी। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ मौजूद रहे।

राष्ट्रपति मुर्मू का दौरा संगम तट से शुरू हुआ, जहां सुबह 10 बजे उन्होंने मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में आस्था की डुबकी लगाई। यह क्षण महज एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान था। राष्ट्रपति ने सनातन परंपरा को मजबूत आधार प्रदान करते हुए लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं। संगम स्नान के दौरान पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार महसूस किया गया।

इसके बाद राष्ट्रपति ने बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन किया और देशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। यहां उन्होंने मंदिर की प्राचीनता और आध्यात्मिक महत्व को नमन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की धार्मिक आयोजनों को डिजिटल युग से जोड़ने की पहल की सराहना की। मंदिर दर्शन के बाद राष्ट्रपति ने डिजिटल महाकुंभ अनुभव केंद्र का अवलोकन किया, जहां उन्हें तकनीकी माध्यमों से महाकुंभ मेले की विस्तृत जानकारी दी गई। यह केंद्र देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान कर रहा है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने प्रयागराज में अपने आठ घंटे के दौरे के दौरान महाकुंभ के धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को नई ऊंचाई दी। उनकी उपस्थिति ने इस भव्य आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया। यह दौरा न केवल प्रयागराज के लिए ऐतिहासिक रहा, बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं के लिए भी एक अविस्मरणीय प्रेरणादायी क्षण बन गया।

राष्ट्रपति की यात्रा को लेकर प्रयागराज में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। उनकी शाम पौने छह बजे की वापसी के साथ यह यादगार दौरा संपन्न हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह दौरा महाकुंभ की पावनता, भारतीय संस्कृति की गहराई और देश की आस्था का सजीव उदाहरण बन गया। उनकी उपस्थिति ने महाकुंभ के धार्मिक आयोजनों को एक नया दृष्टिकोण दिया, जो आने वाले समय में प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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