BIHAR में बिजली सस्ती! मगर क्या इसमें कोई छिपा राज़ है?

बिजली सस्ती, लेकिन क्‍या ये सिर्फ एक दिखावा है?

बिहार में बिजली दरों में कटौती की खबर से उपभोक्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। 1 अप्रैल 2025 से लागू हुई नई बिजली दरों ने हर किसी को राहत की सांस दी है। लेकिन क्या यह सस्ती बिजली वाकई में फायदा पहुंचाएगी, या इसमें कोई छिपा हुआ खेल है? स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वालों को 25 पैसे प्रति यूनिट की छूट मिलेगी, जबकि ग्रामीण उपभोक्ताओं को 54 पैसे प्रति यूनिट तक का लाभ मिलेगा। सवाल ये उठता है – आखिर सरकार इतनी राहत क्यों दे रही है?

स्मार्ट मीटर वालों को ज़्यादा फायदा! क्या यह एक नई चाल है?

राज्यभर में 62 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर पहले ही लग चुके हैं, और अब सरकार इसकी ओर उपभोक्ताओं को और आकर्षित कर रही है। जो उपभोक्ता पहले से स्मार्ट मीटर का उपयोग कर रहे थे, उन्हें पहले सिर्फ 3% रिचार्ज छूट मिलती थी, लेकिन अब उन्हें 25 पैसे प्रति यूनिट तक की बचत होगी। क्या यह महज़ एक लुभावनी पेशकश है या इसके पीछे कोई और वजह छिपी हुई है?

ग्रामीण उपभोक्ताओं को मिलेगा बड़ा फायदा, लेकिन कुछ शर्तें भी हैं!

ग्रामीण इलाकों में बीपीएल (कुटीर ज्योति) उपभोक्ताओं को अब 54 पैसे प्रति यूनिट की राहत मिलेगी। लेकिन सरकार ने इसमें एक ट्विस्ट जोड़ा है – यह लाभ सिर्फ उन्हीं को मिलेगा जो 50 यूनिट से अधिक बिजली की खपत करेंगे। क्या यह राहत सच में गरीबों के लिए है, या फिर उन्हें 50 यूनिट से ज़्यादा बिजली खर्च करने के लिए मजबूर किया जा रहा है?

स्मार्ट मीटर वालों को 6 महीने तक राहत, लेकिन उसके बाद…?

सरकार ने एक और आकर्षक स्कीम निकाली है – अगर आपने स्मार्ट मीटर लगाया है, तो 6 महीने तक लोड से अधिक बिजली खपत पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। लेकिन अगर यह अवधि बीत गई और आप तय सीमा से ज़्यादा बिजली खर्च करते हैं, तो आपको भारी जुर्माना भरना पड़ेगा! क्या यह छूट उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए है, या फिर बाद में अधिक शुल्क वसूलने की योजना?

बिजली दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं, लेकिन कोल्ड स्टोरेज को मिली विशेष छूट!

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के घरेलू, व्यवसायिक, कृषि और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कोल्ड स्टोरेज के लिए एक नई श्रेणी बनाई गई है। इसका मतलब यह हुआ कि कृषि उत्पादों के उचित भंडारण को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। मगर क्या यह फैसला आम उपभोक्ताओं को भी किसी तरह से प्रभावित करेगा?

निष्कर्ष – क्या यह बिजली सस्ती हुई, या एक नई चाल चली गई?

बिजली की कीमतों में कमी देखने में एक बड़ी राहत लग सकती है, लेकिन इसके पीछे कई पेचीदा शर्तें छिपी हुई हैं। छूट की आड़ में कहीं उपभोक्ताओं से ज्यादा बिल तो नहीं वसूला जाएगा? 6 महीने की स्मार्ट मीटर राहत योजना के बाद अचानक से भारी शुल्क लगना क्या एक सुनियोजित रणनीति है? क्या सरकार ने सच में जनता का भला किया है, या फिर एक नई योजना के जरिए उन्हें और अधिक खर्च करने पर मजबूर किया जा रहा है? इसका जवाब तो आने वाले महीनों में ही पता चलेगा!

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