BIHAR News:14 साल बाद घर लौटा अमीरुद्दीन: एक दर्दनाक सफर की सनसनीखेज दास्तान

सऊदी अरब में 14 साल की कैद के बाद अमीरुद्दीन की वापसी!

भागलपुर के रहने वाले मोहम्मद अमीरुद्दीन का नाम सुनते ही एक दर्दनाक और रहस्यमयी सफर की कहानी सामने आती है। एक मामूली नौकरी की तलाश में विदेश गया यह युवक अचानक कानूनी दलदल में फंस गया, जहां से निकलने में उसे 14 साल लग गए। यह कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं लगती, लेकिन यह हकीकत है।

अमीरुद्दीन के साथ जो हुआ, वह किसी भी प्रवासी भारतीय के लिए एक डरावना सपना हो सकता है। साल 2011 में एक एजेंसी के जरिए वह सऊदी अरब गया, जहां उसे एक ट्रक ड्राइवर की नौकरी मिली। पहले दो साल तक सब कुछ ठीक रहा, लेकिन सितंबर 2013 में एक सड़क दुर्घटना ने उसकी पूरी जिंदगी बदल दी। इस हादसे में एक स्थानीय युवक घायल हो गया और अमीरुद्दीन को दोषी करार देकर जेल भेज दिया गया।


अंधेरे में डूब गए 14 साल, परिजनों की आंखों में था इंतजार

2014 में कोर्ट ने अमीरुद्दीन को 14 महीने की सजा सुनाई। यहां तक तो हालात सामान्य थे, लेकिन असली मुसीबत तब शुरू हुई जब उसे 30,000 रियाल (लगभग 6.85 लाख रुपये) का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया। अमीरुद्दीन ने इसे भरने की कोशिश की, लेकिन जब तक वह कुछ कर पाता, यह जुर्माना बढ़कर 90,000 रियाल (लगभग 20.54 लाख रुपये) हो गया!

उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था, मोबाइल छीन लिया गया था और नौकरी भी छिन गई थी। अब उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा था। न ही वह वापस भारत आ सकता था और न ही कोई अच्छी नौकरी कर सकता था। इस दौरान उसने छोटे-मोटे काम करके जैसे-तैसे 9 साल गुजार दिए।


कैसे हुआ चमत्कार? भारत सरकार और SDO बने मसीहा

अमीरुद्दीन की इस दर्दनाक कहानी का अंत तब आया जब उसके किसी रिश्तेदार ने उदाकिशनगंज मधेपुरा के SDO एम. जेड. हसन से संपर्क किया। उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया और सऊदी अरब में भारतीय दूतावास तक यह खबर पहुंचाई।

दूतावास ने मामले की गहराई से जांच की और जब हालात समझे, तो तुरंत कार्रवाई की। जुर्माने की राशि माफ कराई गई और अमीरुद्दीन को वापस भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई। प्लेन और ट्रेन के टिकट का इंतजाम किया गया और 14 साल बाद अमीरुद्दीन आखिरकार अपने वतन लौट आया!


“भारत जैसा कोई देश नहीं!” – अमीरुद्दीन की आंखों में खुशी के आंसू

भागलपुर लौटने के बाद अमीरुद्दीन ने कहा,
👉 “अब मैं कभी भारत छोड़कर नहीं जाऊंगा। यहां जैसी आजादी और सुरक्षा कहीं नहीं। मैं यहीं मेहनत करूंगा और अपने परिवार के साथ जिंदगी बिताऊंगा।”

उसके पिता हाजी मोहम्मद कुतुबुद्दीन, जो खुद गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, ने कहा,
👉 “मेरे बेटे ने बहुत कष्ट सहे हैं। भारत सरकार और उन लोगों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने इसे वापस लाने में मदद की।”


सबक जो हर प्रवासी भारतीय को सीखना चाहिए!

अमीरुद्दीन की यह कहानी हर भारतीय को एक महत्वपूर्ण सीख देती है – विदेश में नौकरी करने से पहले पूरी जानकारी जुटाएं।
✅ जिस एजेंसी से जा रहे हैं, उसकी वैधता जांचें।
✅ अपनी वर्क परमिट और लाइसेंस को पहले से बनवा लें।
✅ कानूनी मामलों में जागरूक रहें और भारतीय दूतावास से संपर्क में रहें।

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