शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव: जानें कब शुरू होगी प्रक्रिया

शिक्षकों के तबादले को पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रदान करने के उद्देश्य से बिहार शिक्षा विभाग ने एक नई प्रणाली की शुरुआत की है। फरवरी के अंतिम सप्ताह से यह प्रक्रिया फिर से शुरू होने जा रही है। आइए जानते हैं इस प्रक्रिया से जुड़ी हर जरूरी जानकारी।

1. फरवरी के अंतिम सप्ताह से शुरू होगी प्रक्रिया

शिक्षा विभाग ने फरवरी के अंतिम सप्ताह से शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। इस बार ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी और कोडिंग सिस्टम के आधार पर शिक्षकों का चयन होगा। यह प्रक्रिया हेड ऑफिस द्वारा संचालित की जाएगी, जहां शिक्षकों के नाम की जगह कोडिंग के जरिए सूची तैयार होगी।

2. कोडिंग सिस्टम से होगी ट्रांसफर प्रक्रिया

शिक्षकों के नाम की जगह कोड नंबर का उपयोग किया जाएगा। यह कोडिंग सिस्टम इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए अपनाया गया है। डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) को कोड के माध्यम से स्कूल आवंटित करने होंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह सॉफ्टवेयर आधारित और ऑटोमेटेड होगी, जिससे भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।

3. डीईओ को नहीं होगी शिक्षकों के नाम की जानकारी

इस नई प्रणाली के तहत डीईओ को शिक्षकों के नाम की जानकारी नहीं होगी। उन्हें सिर्फ कोडिंग लिस्ट मिलेगी, जिसके आधार पर वे ट्रांसफर करेंगे। इसके बाद आवंटित स्कूल की सूची मुख्यालय को ईमेल की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय और पारदर्शी होगी।

4. 16 अधिकारियों की टीम करेगी प्रक्रिया की निगरानी

शिक्षा विभाग ने इस बार ट्रांसफर प्रक्रिया की निगरानी के लिए 16 अधिकारियों की विशेष टीम गठित की है। इस टीम को एक सप्ताह पहले विशेष ट्रेनिंग दी गई थी, जिसमें आवेदन की जांच, ट्रांसफर की श्रेणियों और स्कूल चयन प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी गई।

5. चार चरणों में होगा ट्रांसफर

शिक्षा विभाग ने चार चरणों में ट्रांसफर प्रक्रिया को पूरा करने की योजना बनाई है। पहले चरण में केवल 35 शिक्षकों का तबादला हुआ था, जबकि अगले चरण में बाकी शिक्षकों को शामिल किया जाएगा। इस बार उम्मीद है कि प्रक्रिया तेजी से पूरी होगी।

6. 1.90 लाख शिक्षकों ने किया था आवेदन

इससे पहले ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए 1.90 लाख शिक्षकों ने आवेदन किया था। यह संख्या इस बात का संकेत है कि शिक्षकों में ट्रांसफर को लेकर कितनी अधिक उत्सुकता है। हालांकि, पहले चरण में सिर्फ 35 शिक्षकों का तबादला हो सका था। बाकी शिक्षक सेकंड फेज की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।

7. कोडिंग सिस्टम से पारदर्शिता की गारंटी

कोडिंग सिस्टम अपनाने से विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी अधिकारी व्यक्तिगत रूप से शिक्षकों को प्रभावित न कर सके। इससे भेदभाव रहित और निष्पक्ष ट्रांसफर प्रणाली लागू हो सकेगी।

8. ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर करेगा स्कूल आवंटन

ट्रांसफर प्रक्रिया के तहत स्कूलों का आवंटन ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर के जरिए होगा। यह सॉफ्टवेयर शिक्षकों की वरीयता और अन्य निर्धारित मानदंडों के आधार पर स्वचालित रूप से स्कूल का चयन करेगा। इससे किसी भी प्रकार की गलती की संभावना खत्म हो जाएगी।

9. डीईओ को दी गई विशेष जिम्मेदारी

डीईओ को कोडिंग के आधार पर स्कूल आवंटित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें ट्रांसफर सूची तैयार करने के बाद मुख्यालय में ईमेल के जरिए रिपोर्ट करना होगा। इस प्रक्रिया के दौरान डीईओ को अत्यधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

10. शिक्षकों को ट्रांसफर प्रक्रिया से राहत मिलने की उम्मीद

लंबे समय से तबादले का इंतजार कर रहे हजारों शिक्षकों को इस प्रक्रिया से राहत मिलेगी। नई प्रणाली न केवल पारदर्शी और निष्पक्ष होगी, बल्कि शिक्षकों के लिए भी यह एक सुविधाजनक और तेज़ प्रक्रिया साबित होगी।

निष्कर्ष

शिक्षा विभाग का यह कदम पारदर्शिता और डिजिटल सुधार की दिशा में एक सराहनीय पहल है। उम्मीद है कि यह प्रक्रिया शिक्षकों के हित में एक मील का पत्थर साबित होगी। शिक्षकों को सुझाव दिया जाता है कि वे अपनी तैयारियां पूरी रखें और विभाग द्वारा जारी हर दिशा-निर्देश का पालन करें।

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