Yamai Mamta Nand Giri महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देने की बड़ी घोषणा

महामंडलेश्वर यमाई ममता नन्द गिरी ने एक ऐसा निर्णय लिया है, जो उनके आध्यात्मिक जीवन में एक नया अध्याय खोलता है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए अपने आध्यात्मिक जीवन की सच्चाई और संघर्षों को साझा किया। अपने 25 वर्षों की कठोर साधना और तपस्या का जिक्र करते हुए, उन्होंने स्पष्ट किया कि महामंडलेश्वर की उपाधि उनके लिए एक सम्मान थी, न कि कोई लक्ष्य। इस पद को ग्रहण करने के बाद उत्पन्न विवादों ने उन्हें पुनः एक साध्वी के रूप में लौटने का संकल्प दिलाया। उनका कहना है, “मैं 25 वर्षों से साध्वी थी और आगे भी साध्वी ही रहूंगी।”

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महामंडलेश्वर की उपाधि को लेकर समाज में कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। उन्होंने बताया कि यह उपाधि उन्हें एक सम्मान के रूप में दी गई थी, ठीक वैसे ही जैसे किसी कुशल तैराक को वर्षों की मेहनत के बाद प्रशिक्षक बनाया जाता है। परंतु, कुछ लोगों ने इसे गलत दृष्टिकोण से देखा और उनके व्यक्तित्व पर सवाल उठाए। उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में बॉलीवुड से पूरी तरह दूर रहने और आध्यात्मिकता में डूबने की बात कही। इसके बावजूद, उनके श्रृंगार और पहनावे पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। उन्होंने इसे समाज की दकियानूसी सोच का परिणाम बताया और कहा कि हर देवी-देवता भी अलंकरण और श्रृंगार से अलंकृत होते हैं।

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अपने गुरु श्री चैतन्य गगनगिरि महाराज का नाम बड़े गर्व से लेते हुए, महामंडलेश्वर यमाई ममता नन्द गिरी ने कहा कि उनके मार्गदर्शन में उन्होंने 25 वर्षों तक उग्र तपस्या की। उनका मानना है कि किसी भी हिमालय या मानसरोवर की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन्होंने अपने गुरु के सान्निध्य में जीवन की वास्तविक तपस्या को प्राप्त किया है। उनके गुरु के दिव्य ज्ञान के सामने अन्य लोग उन्हें तुच्छ प्रतीत होते हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अहंकार और झूठे दावों से भरी दुनिया को करीब से देखा।

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उन्होंने बताया कि उनके सम्माननीय आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी का उनके जीवन में एक विशेष स्थान है। उन्होंने खुले शब्दों में कहा कि पैसों के लेन-देन को लेकर लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं। अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि जब उनसे दो लाख रुपये मांगे गए, तब उनके पास यह रकम नहीं थी। उस समय महामंडलेश्वर जय अम्बागिरि ने मदद के लिए आगे आकर यह राशि दी। हालांकि, उनके खिलाफ चार करोड़ रुपये की मांग का जो आरोप लगाया गया, वह पूरी तरह निराधार है।

अंत में, महामंडलेश्वर यमाई ममता नन्द गिरी ने अपने इष्ट देवी चंडी के आशीर्वाद का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “25 वर्षों की साधना और आराधना का मुझे यही संकेत मिला कि अब मुझे इन विवादों से बाहर निकलना चाहिए।” उनकी इस घोषणा ने उनके दृढ़ संकल्प और सच्ची साधना की गहराई को उजागर किया। यह कहानी सिर्फ एक इस्तीफे की नहीं, बल्कि एक साध्वी के आध्यात्मिक जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा और आत्मनिर्णय की प्रेरणा है।

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