बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि वे एक क्रांति थे, एक विचारधारा थे, जो आज भी समाज में बदलाव की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने न केवल कागज़ों पर नियम बनाए, बल्कि दिलों में चेतना जगाई। जब पूरा समाज जातिवाद, ऊँच-नीच और भेदभाव की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, तब बाबा साहेब ने दलितों, पिछड़ों और वंचितों को शिक्षा, अधिकार और आत्मसम्मान का मार्ग दिखाया। अंबेडकर जयंती के इस अवसर पर हम उनके उन दस विचारों को साझा कर रहे हैं जो आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे तब थे।
डॉ. अंबेडकर का मानना था कि “ज्ञान ही सबसे बड़ी शक्ति है” — यही शिक्षा किसी व्यक्ति को न केवल अपने हक़ को समझने में मदद करती है, बल्कि समाज की जंजीरों को तोड़ने का साहस भी देती है। उनके अनुसार जिस समाज में सबके लिए समान अवसर नहीं हैं, वहाँ स्वतंत्रता अधूरी है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि असली आज़ादी वही है जहाँ हर वर्ग को बराबरी का अधिकार मिले, चाहे वो दलित हो, पिछड़ा वर्ग या महिला।
बाबा साहेब का यह कथन कि “जो समाज अपने नायकों को भूल जाता है, वह खुद को भी खो देता है” एक गंभीर चेतावनी है। वे मानते थे कि हमारे संघर्ष, हमारे आदर्श और हमारे नायक हमारे आत्मबल के स्रोत होते हैं। न्याय के बारे में उनका विचार था कि यह वही न्याय है जो सबसे कमजोर व्यक्ति को भी उसका हक दिला सके। आज के समय में यह विचार न्याय व्यवस्था की आत्मा बन जाना चाहिए।
डॉ. अंबेडकर महिला सशक्तिकरण के भी प्रबल समर्थक थे। उन्होंने कहा था कि “समाज तब तक आगे नहीं बढ़ सकता, जब तक महिलाओं को समान अधिकार न मिले”। उनका मानना था कि जिस समाज में महिलाएं पीछे रह जाती हैं, वहाँ कोई भी विकास अधूरा रहता है। वे आत्मनिर्भरता को भी ज़रूरी मानते थे और कहते थे, “अगर आप खुद की मदद नहीं करेंगे, तो कोई और क्यों करेगा?” यह कथन आज की युवा पीढ़ी के लिए एक स्पष्ट संदेश है।
बाबा साहेब ने जीवनभर समता, न्याय और स्वतंत्रता को केवल आदर्श नहीं, बल्कि अपने जीवन का लक्ष्य माना। उन्होंने चेतावनी दी थी कि “जो अंधविश्वासों में जीता है, वह अपने ही विकास का रास्ता रोकता है”। और अंत में, वे यह मानते थे कि संविधान की असली सफलता इसी में है कि हम उसे अपने जीवन में कितनी ईमानदारी से अपनाते हैं। अंबेडकर जयंती 2025 केवल एक दिवस नहीं है, यह अवसर है — अपने भीतर के साहस, चेतना और परिवर्तन को पुनर्जीवित करने का।