“पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार का सख्त संदेश – सिंधु जल समझौता रोका, पाक दूतावास सीमित”

भारत ने लिया कड़ा रुख – अब शब्द नहीं, सीधा एक्शन

हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने अब केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि सख्त और स्पष्ट नीतिगत कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक में लिए गए फैसलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसे प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। करीब ढाई घंटे चली इस बैठक के बाद पांच अहम फैसले लिए गए, जो भारत की बदली हुई रणनीति का संकेत हैं।

सिंधु जल समझौता स्थगित – पानी की धार अब जवाब बनेगी

मोदी सरकार का पहला बड़ा और ऐतिहासिक कदम है, पाकिस्तान के साथ 1960 से चले आ रहे सिंधु जल समझौते को रोकना। यह समझौता अब तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंक के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाएगा, यह समझौता दोबारा लागू नहीं होगा। इसके अलावा भारत-पाक अटारी बॉर्डर को भी अस्थायी रूप से बंद किया गया है, जिससे स्पष्ट हो गया है कि भारत अब रिश्तों में नरमी नहीं, सख्ती का रास्ता चुनेगा।

वीज़ा नीति में बदलाव – पाक नागरिकों पर सख्ती

तीसरा बड़ा फैसला वीज़ा नीति में बदलाव का है। अब कोई भी पाकिस्तानी नागरिक सार्क वीजा स्कीम के तहत भारत में प्रवेश नहीं कर सकेगा। पहले से जारी सभी वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं और जो पाकिस्तानी नागरिक भारत में मौजूद हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है, बल्कि यह भारत की गंभीरता और दृढ़ता को भी दर्शाता है।

दूतावास में कटौती और अफसरों की वापसी – कूटनीतिक स्तर पर बड़ा बदलाव

सरकार ने चौथा और पाँचवां फैसला सीधे कूटनीतिक संबंधों से जुड़ा है। दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास से सेना, नेवी और एयरफोर्स के प्रतिनिधियों को तुरंत वापस भेजने का निर्णय लिया गया है। साथ ही इस्लामाबाद में मौजूद भारतीय अधिकारियों को भी स्वदेश बुलाया गया है। अब दूतावास में कर्मचारियों की संख्या भी घटाकर केवल 30 कर दी गई है। यह कदम दर्शाता है कि भारत अब केवल आवश्यक संवाद ही रखेगा, बाकी सभी सहयोग फिलहाल रोक दिए गए हैं। यह न केवल पाकिस्तान को एक सख्त संदेश है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की दृढ़ और निर्भीक कूटनीति की भी मिसाल है।

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