सफलता एवं शुभारंभ एवं बुद्धि के देवता भगवान श्री गणेश भगवान शिव के छोटे पुत्र हैं
भगवान गणेश देवों के देव महादेव के पुत्र हैं ।श्री गणेश की पत्नी रिद्धि और सिद्धि है।ये दोनों भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं भगवान विश्वकर्मा ने देवघर मंदिर का निर्माण रातों-रात कर दिए थे । इनकी त्यौहार हमलोग 17 सितंबर को मनाते हैं ।भगवान शिव के साथ इनकी अनेक घनिष्ठता है । भगवान गणेश की शारीरिक संरचना का भी विशिष्ट अर्थ है ।
वे लंबोदर हैं समस्त सृष्टि उनके उदर में विचरित है, भगवान गणेश को जन्म ना देते हुए माता पार्वती ने उनके शरीर की संरचना की, रचना के समय भगवान गणेश का मुख सामान्य था। माता पार्वती के स्नानागार में, भगवान गणेश को उनके घर की पहरेदारी करने का आदेश दिया ,माता ने कहा जब तक मैं स्नान कर रही हूं तब तक घर में किसी को भी आने मत देना कुछ क्षण उपरांत भगवान शिव वहां आए और भगवान गणेश से कहा पुत्र मुझे जाने दो यह मेरा घर है ।
गणेश के द्वारा रोकने पर भगवान शिव उनका सर धड़ से अलग कर दिए गणेश को कटे सर धरती पर लेटा देख माँ पार्वती परेशान हो उठी तभी महादेव को सारा बात बताई ।भगवान शिव को उनसे हुई त्रुटि पर अखर आया, उपरांत उन्होंने गज का सिर भगवान गणेश पर रख दिया भगवान गणेश जी को 2 पुत्र थे ,जिनका नाम शुभ और लाभ है और एक पुत्री जिनका नाम संतोषी माता है ,भगवान गणेश के कई रूप को हम लोग जानते हैं जिनका नाम
गणपति, विनायक, गजानन, गणेश्वर, गौरी नंदन, गौरी पुत्र , श्री गणेश ,गणाधिपति, सिद्धिविनायक ,अष्टविनायक ,बुद्धि पति, शुभ करता ,सुखकर्ता है ।
विशेष अस्त्र त्रिशूल ,तलवार ,अंकुश ,पाश,मोदक और परसु भगवान गणेश के प्रतीक स्वास्तिक और मोदक हैं । उनका दिवस बुधवार है ।
बड़े भाई भगवान कार्तिक और भगवान अय्यपा
बहन देवी अशोकसुंदरी ,देवी ज्योति और मनसा देवी
विशेष त्यौहार गणेश चतुर्थी को विशेष रूप से मनाते हैं